रैनी चढ़ी रसूल की. ."
गाने को रिपीट पर लगा दिया. . . गिन कर नहीं बता सकती कि कितनी बार बजा होगा. . . "तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत, हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं". . ना किसी चोट का ख्याल, ना दर्द का . .
हर बार पूरी शिद्दत से धड़कने तेज हुईं. . . "अरे ऐ री सखी री, वो तो जहाँ देखो मोरो (बर) संग है री।" . . . हर बार मन झूम के नाचा. . "जग उजियारो जगत उजियारो" ना अतीत का ख्याल, ना भविष्य का . .
जैसे आप अकेले नहीं नाच रहे हैं. . साथ में पूरी कायनात झूम कर नाच रही है. . कोई जश्न चल रहा है. . चल रहा है . . बस चल रहा है. . मुस्कान रह रह कर चेहरे पर बिखर जा रही है. . "अरे इस आँगन में वो तो, उस आँगन में। अरे वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री। आज रंग है ए माँ रंग है री।"
कोई मुस्कुरा रहा है मेरे भीतर. . कोई नाचते नाचते "खुसरो रैन सुहाग की, जो मैं जागी पी के संग, तन मोरा मन पिऊ का, दोनों एक ही रंग" गा रहा है . . रह रह कर मन लजा जा रहा है खुद से . .