Tuesday, 9 February 2016

घोंचू का भेलेनटाईन डे उर्फ प्रेम उर्फ बसंत पंचमी का ऐतिहासिक दिन #1

घोंचू ने किशोरावस्था में ‘गुनाहों का देवता’ पढ़ी थी| उसे रूमी का काव्य भी पसंद है | वह भावुक नहीं है | वह भावुकता की बौद्धिक स्वीकृति है | उसने किशोरावस्था में ही प्रण लिया था कि वह एक न एक दिन महान प्रेमी होगा | आज घोंचू युवा है | मतलब, युवा से थोड़ा आगे बढ़ गया है पर है युवा ही | दरअसल मामला ‘समझदारी’ का है | वो अपने हमउम्र लोगों से ज्यादा समझदार था इसलिए जब उसके दोस्त प्यार में थे उस समय घोंचू का मानना था कि वे सब ‘टटके इश्क’ में हैं | (टटका इश्क यानी कि चलताऊ इश्क) | इसी बीच उसकी उम्र थोड़ी - सी आगे खिसक गई पर उसे युवा राजनीतिज्ञ की तर्ज़ पर युवा ही माना जाएगा | बहरहाल, अब घोंचू प्रेम में है |

जी हाँ, प्रेम करता है वो हसीना से, सच्चा वाला | घोंचू अपनी कल्पना में उसे ‘स्वप्नप्रिया’ बुलाता है| यह नाम उसे प्रेम से और भी ज्यादा जोड़ देता है | मामला यह कि घोंचू हसीना से प्यार करता है|

बस यही है न दिक्कत !! जैसे ही कहा कि वो प्यार करता है वैसे ही आप समझने लगे की घोंचू के शरीर में हार्मोनल चेंज हो रहा है | यहीं तो धोखा खा गया इण्डिया | आप समझे नहीं ! दरअसल घोंचू इन सबसे बहुत ऊपर है | वो हार्मोनल चेंज से सर्वथा परे है | घोंचू को अगर हसीना पर सच्चा वाला प्यार न आया होता तो घोंचू पूरा जीवन सेक्स से परे रह कर साधना करता | ऐसा उसने कभी तय किया था | यह मजाक वाली बात नहीं है | यह बात उसने दोस्तों की महफ़िल में ताल ठोक के कई-कई बार कही है | पर हर बार वह चालाकी से हसीना का नाम छुपा लेता था | आप समझ रहे हैं न, उसके पास मौके की परख भी है |

उसने यह भी सोच कर रखा है कि जिस दिन वह हसीना से अपने प्रेम को जाहिर करेगा इस बात का ज़िक्र ज़रूर करेगा कि अगर वो उसे न दिखी होती तो वो उम्र भर घटिया इश्किया टाइप फ़िल्मी बात में नहीं पड़ता | खामख्वाह वाला ‘किस’ करके खुश होने वाला घटियापन उसे कतई बर्दाश्त नहीं|
घोंचू ‘प्रेम’ में यकीन करता है | यहाँ ‘प्रेम’ का मतलब ‘प्रेम’ ही है, ‘प्यार’ नहीं | उसकी नज़र में ‘प्यार’ बाज़ारू टाइप चीज़ है | जिससे फिल्मों ने खूब पैसा कमाया है | घोंचू की बात में दम है | फिल्मों ने ‘प्यार’ का नाम लेकर पैसा खूब कमाया पर आज भी उसके समाज ने प्यार करना नहीं सीखा | ‘इश्क’ शब्द से तो उसे चिढ़ है | बड़ा सस्ता - सा लगता है | कमबख्त शायरों ने इस शब्द को इतना घिस दिया है कि ये शब्द उसे बसाने लगा है | इसलिए घोंचू के शब्दकोश में इस शब्द का प्रयोग घोर निद्रा में भी वर्जित है | वो हसीना से प्रेम करता है, इश्क नहीं |

एक सच्चे प्रेमी के सारे लक्षण घोंचू में मौजूद हैं | वह उसकी आहट का अनुमान लगा पाता है | उसे निहार लेने की तैयारी भर में भी अक्सर घबराहट कि वजह से इत्र कान की जगह दांत पर लगा लेता है | घबराहट में वह हकलाने भी लगता है | आईने के सामने ‘मैं आपसे प्रेम करता हूँ’ कहने की रिहर्सल करते समय भी उसकी घिग्घी बंध जाती है | कई बार माहौल बनाने के बाद भी वह अपने मन की बात नहीं कह पाया |

घोंचू पूरी दुनिया के प्रेम का उपहास करता है | दरअसल प्रेम का नहीं बल्कि लोगों में बनी प्रेम की धारणा का उपहास करता है | कई बार उसने चाहा कि चीख - चीख कर इस दुनिया को बताए कि मूर्खों तुम जानते ही नहीं कि प्रेम क्या है ! प्रेम वह है जो मैं हसीना से करता हूँ | उसके अलावा जो है, सब ढोंग है | दो लोग सावधानी बरतते हुए समझौता करते हैं | वह प्रेम नहीं है | वह ‘किस’ है, ‘सेक्स’ है, घर चलाना है पर ‘प्रेम’ नहीं |

घोंचू के मन की उलझन बढती जा रही है | उसे प्रेम हो गया है और वो किसी को समझा नहीं सकता कि उसे क्या हुआ ! जैसे ही कोशिश करता तुच्छ दुनिया उसके प्रेम को अपने जैसा समझ लेती, और उसका प्रेम इस एहसास से भी तुच्छ हो जाता | घोंचू का मानना है कि प्रेम परिभाषा से परे है|

घोंचू अब तन्हाइयों में रहने लगा | उसने चाहा था कि एक दिन जब चारों तरफ पीले फूल खिले होंगे तब वो हाथ फैला के हसीना से अपने प्रेम के बारे में कहेगा और वो उसके प्रेम को स्वीकार लेगी | तन्हाइयों के दिनों में घोंचू ने बहुत फिल्में छुप - छुप के देखीं थीं | उसे ‘दिलवाले दुल्हनियाँ ले जाएंगे’ वाले प्रेम के तरीके ने आकर्षित किया था |

करवा चौथ के व्रत ने और शाहरुख के भूखे रहने ने उसके मन वाले पवित्र प्रेम को बल दिया | हाँ फिल्म निर्माताओं से उसे इस बात की भी आपत्ति है कि उन्होंने ‘विवाह पूर्व सेक्स’ से जैसी अवधारणा का फिल्म में इस्तेमाल किया| हाँ, वह यह भी जानता है कि फिल्म में इसका प्रयोग मजाक में किया गया था पर वह इस मजाक से भी आहत था| मजाक में भी प्रेम की पवित्रता पर कोई आंच आए, यह उसे मंज़ूर नहीं|........


2 comments:

  1. अच्छा प्रवाह है ! प्रेम प्यार और इश्क़ के बहाने सब कह दिया .... तेल चुपड़े घौचू ही प्रेम की ध्वजा के असली वाहक रह गये हैं !

    ReplyDelete
  2. आभार मैम आपका .. आपने पढ़ा और सराहा ..

    ReplyDelete