Sunday 5 January 2014

मेरी आँखों का सपना



झिलमिलाहट - अपने कैमरे से
उस वक़्त मेरी आँखों में एक सपना आने वाला था,
साथ ही एक प्यारा-सा एहसास लाने वाला था,
वह आता इससे पहले ही किसी नेउसे रोक कर कुछ कहा था,
सुन कर उसकी बात को सपना मेरा जाने लगा,
घबराकर रोका था मैंने उसे,
पूछा, ‘तुम तो मेरी आँखों में आने वाले थे!
तुम तो मेरे जीवन को रंगीन बनाने वाले थे!
फिर क्यों वापस जा रहे हो?
क्यों यहाँ तक आकर मुझसे नज़रें चुरा रहे हो?’
पूछा उसने मुझसे, ‘क्यों तुम कहती हो मैं हूँ प्यारा-सा सपना?’
मैंने कहा, ‘तुम्हारे सिवा और है कौन मेरा अपना!
पलटकर देखा उसने मुझे,
वह कुछ कह नहीं पा रहा था,
पर हाँ,
मेरा प्यारा-सा सपना कुछ उदास नज़र आ रहा था,
कुछ देर तक चुपचाप मुझे देखता रहा,
फिर बिना कुछ कहे मेरी आँखों में समां गया..
फिर...
फिर हुई कुछ टकराहट की आवाज़ें,
हुआ कुछ शोर-शराबा,
उतनी ही देर में कोई मेरा सपना तोड़ भागा,
टूटे हुए सपने को मैंने हाथों में ले लिया,
हैरान थी मैं!
कुछ समझ नहीं पा रही थी,
ध्यान से सुना तो उन टुकडों में से मेरे सपने की आवाज़ आ रही थी,
कहा उसने मुझसे, ‘जानना चाहोगी क्या कहा था उस साये ने’,
उस वक़्त जब मैं तुम्हारी आँखों में आ रहा था,
वह अनजाना सायामुझे कुछ समझा रहा था,
कहा था उस साये नेकी क्यों तुम उन आँखों में जा रहे हो?
क्यों बिना वज़ह अपनी जान गवां रहे हो?
अरे, खुलेंगी वो आँखें, टूट जाओगे तुम,
रोयेंगी वो आँखें, बह जाओगे तुम..
इसीलिए मैं वापस जा रहा था,
तुम्हारे पास नहीं आ रहा था,
पर,
तुम्हारी आँखों की उदासी मुझसे देखी न गयी,
स्वप्नहीन वो आँखें झेली न गयी,
बस फिर क्या,
तुमने आँखें बंद की और मैं तुम्हारी आँखों में आ गया,
कुछ पलों के लिए ही सही तुम्हारी दुनिया सजा गया,
अब देखो,
खुल गईं तुम्हारी आँखें, टूट गया हूँ मैं,
रो रही हो तुम, आँखों से बह रहा हूँ मैं..
‘अलविदा’ कह कर मेरा आख़िरी सपना भी जा चुका था,
चेहरे पर कुछ बूंदों का फिर एहसास आ चुका था,
न जाने क्यों आँखों के खुलते ही सपनेटूट जाया करते हैं,
भागती दौड़ती दुनिया में अपने छूट जाया करते हैं!
आज,
आज भी मेरी आँखों में कुछ बसा है,
जी हाँ,
मेरी आँखों में एक और सपना छिपा है,
वह आँखों में ही छिपके रहता है,
मेरी तरह शायद वह भी किसी सेडरता है,
हाँ, मेरी तरह शायद वह भी किसी सेडरता है।

-प्रीति तिवारी

(Published by - Epic Literary Council, Pune, 2011)

6 comments:

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    1. Theek theek yaad nahin par 2009 ke aakhiri mahine mein ...shayad..

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  2. हरेक ख़्वाब जो खुशरंग था...सच्चा न हो सका.....

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    1. ये किसी कविता की पंक्ति है क्या ...??

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