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Monday, 16 December 2013

महिला विमर्शों का भाषायी रुख

निर्भया बलात्कार कांड को एक साल पूरा हो गया है। भारत में महिला विमर्शों का रुख तय करने के लिहाज से यह एक साल बहुत महत्वपूर्ण रहा है। न सिर्फ बलात्कार, बल्कि महिलाओं से जुड़े यौन हिंसा के हर छोटे-बड़े मामले को केंद्र में रखकर चलायी गयी बहसों ने महिला विमर्शों के इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जोड़ा है, इसमें शायद ही कोई संदेह है। मुख्य धारा मीडिया और वैकल्पिक जन दायरों ने बढ़-चढ़कर इन बहसों में हिस्सा लिया और कहना होगा कि कई अवसरों पर निर्णायक रूप से अपना प्रभाव भी छोड़ा। लेकिन इसके साथ-साथ बीते एक साल का महत्त्व इस बात में भी है कि इस दौरान बलात्कार और यौन हिंसा से जुड़े विमर्शों ने एक खास तरह की भाषा का सृजन किया है। यह भाषा कई अर्थों में खास है और इसके मूल्यांकन से महिला विमर्शों की दिशा और उसकी राजनीति के बारे में महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।