(शेष से आगे).....
...‘कह दूँ तुम्हें या चुप रहूँ’ गीत उसे बहुत पसंद है पर उस गाने में जब नायक नाच-नाच कर कहता कि ‘सोचा है ये कि तुम्हें रास्ता भुलाएं, सुनी जगह पे कहीं छेड़े डराएं’ सुनते ही उसे इस गाने से घृणा होने लगती | ‘रास्ता भुलाएँ, छेड़े डराएं !!’ उसकी नज़र में इससे बड़ी बेशर्मी और कुछ नहीं ! उसके लिए प्रेम यानी कि 24 कैरेट शुद्ध सोना |
...‘कह दूँ तुम्हें या चुप रहूँ’ गीत उसे बहुत पसंद है पर उस गाने में जब नायक नाच-नाच कर कहता कि ‘सोचा है ये कि तुम्हें रास्ता भुलाएं, सुनी जगह पे कहीं छेड़े डराएं’ सुनते ही उसे इस गाने से घृणा होने लगती | ‘रास्ता भुलाएँ, छेड़े डराएं !!’ उसकी नज़र में इससे बड़ी बेशर्मी और कुछ नहीं ! उसके लिए प्रेम यानी कि 24 कैरेट शुद्ध सोना |
उलझन और बढती जा रही है | उसने कहीं से सुन लिया है कि हसीना के घर रिश्ते आ रहे हैं | शादी !! ये कैसे हो सकता है !! कोई अदना - सा आदमी जिसे प्रेम की ‘अपरिभाषित वाली परिभाषा’ तक मालूम हो वह हसीना से विवाह करेगा !! फिर वही ‘किस’ और ‘सेक्स’ ! उफ्फ ये कैसे हो सकता है ! वो ऐसा नहीं होने देगा | अब कुछ करना होगा |
कुछ करना होगा पर क्या ! उसे कुछ सूझ नहीं रहा |
कई महीने कई दिन गुज़र गए | उसने फ़रवरी महीने की विशिष्टता के बारे में भी सुना था | फ़रवरी के महीने में एक हफ्ता आता है जिसमें प्रेमी प्रेम का इज़हार किया करते हैं | पहला दिन यानी कन्या को पुष्प समर्पित करने का दिन | यूँ तो इस दिन लड़की भी लड़के को फूल देकर प्यार का इज़हार करती है | पर लड़की का इज़हार करना घोंचू को अच्छा नहीं लगा | घटिया पाश्चात्य व्यवहार!! कन्या से प्रेम किया जाता है | प्रेम के लिए निवेदन की अवधारणा बनी है | यह एक पुरुष आधारित कर्तव्य है | कन्या स्वयं ऐसा करे करे यह बात उसे जमी नहीं |
दूसरे दिन मीठा खिलाने की अवधारणा को भी घोंचू ने समझा | उसे फिर चिढ़ हुई कि बाज़ार व्यवस्था ने किस तरह मीठे के पर्याय चॉकलेट को बना कर इस पवित्र दिन को ‘चॉकलेट डे’ कह दिया | इसी तरह पूरे सप्ताह कुछ न कुछ चलता रहे और फिर 14 फ़रवरी को प्रेम का निवेदन | आहा ! सुन्दर ! घोंचू को इसमें कोई विचारधारात्मक आपत्ति नहीं लगी | सिवाय इसके विदेशीपन के!! घोंचू ने कई धर्मग्रंथ भी उलट पलट कर देखे ताकि वह सिद्ध कर सके कि ‘वेलेंटाइन डे’ की प्रेमपरक अवधारणा वस्तुतः भारत की देन है | इस काम में समय लग रहा है | अतः तय किया कि यह काम बाद में किया जाएगा | पहले उसे ‘स्वप्नप्रिया’ को उस ढोंगी आदमी से बचाना है जिसे प्रेम के बारे में कुछ नहीं पता पर जिसका विवाह उसकी स्वप्नप्रिया से तय होने वाला है|