Friday, 8 July 2016

एक और बसंत बीत चला


देख लिया बदलते मौसमों का एक पूरा चक्र,

अब झर जाना चाहिए पतझर का बहाना कर कि,

जिसमें (अपनी उम्र जी चुका?) पत्ता धीरे - से शाख छोड़ देता है,

जिस पर पीले पड़ जाने का फ़िज़ूल आरोप लगा देते हैं लोग..

पतझर का झरा हुआ पत्ता पीला नहीं होता..

कभी देखना उसे, वो सुनहला होता है..

एक उम्र जीने के बाद वो निखर जाता है..

तुम उसके सुनहलेपन को पीलापन कहकर गिरा देने का बहाना बना लेते हो...

वो पत्ता जो अपनी सारी नमी तुम्हारे नाम कर चुका..

तुम उसे सख्त और रुखा कह देते हो..